(बहुत से लोगों ने कहा की बहुत दिन हुए कुछ लिखा ही नहीं .... माफ़ी चाहता हूँ आप लोगों से, पर इत्मिनान रखिये लिखने के लिए ही आज कल जिंदगी को पढ़ने की कोशिश कर रहा हूँ )
फिर भी दोस्तों के इसरार पर .....
ज़िन्दगी एक ख़ूबसूरत क़िताब है
इसे हड़बड़ी में न पढ़ें .....
कभी एक पन्ना मोड़ कर
पिछले सारे किस्से से कर लें बात
क्या पता
कहीं कोई एहसास छूट गया हो
अनदेखा।
अनचीन्हा /
कोई सपना
टूट गया हो
और पता भी न चला हो
ऐसा कोई सपना था भी कभी ।
जनाब !
यूँ कब तक बस जिल्द संवारते रहेंगे
जरा ध्यान तो दें
कभी
लिखे पर भी
वाह !
सारी दुनिया से छुपा कर
बड़ा महफूज रखा है आपने इसे
कभी किसी को तो पढ़ने दें !
हाँ जनाब !
जानता हूँ किताबों के साथ
होते हैं खतरे बड़े
पर सबसे बड़ा ख़तरा तो यही है
के इसे कोई न पढ़े
इसी लिए तो कहता हूँ
जिन्दगी एक
खूबसूरत क़िताब है
इसे हड़बड़ी में न पढ़ें ......
- पवन मेराज
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जिन्दगी एक
खूबसूरत क़िताब है
बेहतरीन
बेनामी ने कहा…
1 अप्रैल 2010 को 11:37 am बजे
जिन्दगी एक
खूबसूरत क़िताब है
इसे हड़बड़ी में न पढ़ें ......
-बिल्कुल सही कहा!!
बेहतरीन विचार समेटे यह रचना!! बधाई.
Udan Tashtari ने कहा…
1 अप्रैल 2010 को 3:37 pm बजे
वाह! रचना बोलिए उस्ताद
Kulwant Happy ने कहा…
1 अप्रैल 2010 को 7:40 pm बजे
खूबसूरत है। बधाई।
शिवनारायण गौर ने कहा…
3 अप्रैल 2010 को 12:33 am बजे
nice
Randhir Singh Suman ने कहा…
3 अप्रैल 2010 को 7:06 am बजे
पवन जब तुमने सुनायी थी तभी अच्छी लगी थी कविता…ख़ैर अच्छी-बुरी तो बाद की बात है…शुभ यह कि तुमने लिखा…तुम्हारी क्षमताओं पर मेरा विश्वास अनन्य है…मुश्किल यह है कि इससे थोड़ा ही कम विश्वास तुम्हारी अदम्य अराजकता पर भी है :-)
अब तुम पर है कि कौन सा विश्वास तोड़ते हो
तुम्हारा दोस्त
Ashok Kumar pandey ने कहा…
7 अप्रैल 2010 को 2:07 am बजे
zindagi ek khoobsoorat kitaab...
badhaai ho zanaab... buddhu laut kr ghar ko aa rahe hai
Satyendra ने कहा…
10 अप्रैल 2010 को 3:58 am बजे
tumhari kalam se kuchh khushnuma likha gaya.... khushi huyi...
Shilpi ने कहा…
10 अप्रैल 2010 को 4:03 am बजे